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रायगढ़ । प्राथमिक व माध्यमिक शाला बालमगोड़ा में बच्चों के सीखने सिखाने हेतु नित नए गतिविधियों का आयोजन होता रहता है।इसी तारतम्य में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से यहाँ के शिक्षकों ने हिन्दी, गणित पर्यावरण, सामाजिक विज्ञान,विज्ञान विषयों को बच्चों को करके सीखने व इसके स्थायित्व ज्ञान हेतु बालशोध मेला हेतु गतिविधि कराया।बच्चे स्वयं समुदाय में जाकर हिन्दी विषय हेतु विभिन्न त्यौहार कैसे मनाते हैं इसको मनाने के पीछे का इतिहास गणित में एकीक नियम हेतु जल का विभिन्न क्षेत्रों में उपयोग, मोबाईल रिचार्ज से संबंधित सवाल को हल करना,पर्यावरण के तहत खेती के औजार व इनके उपयोगिता को स्वयं पूछ कर जाना।
इसके साथ ही माध्यमिक शाला के बच्चों ने गणित में लाभ-हानि से संबंधित सवाल को एक किसान,दूधवाले के दैनिक दिनचर्या में खर्च से,सामाजिक विज्ञान में गांव के जानकारी अंतर्गत ग्राम पंचायत के कार्यों तथा विज्ञान के अंतर्गत पेयजल के स्त्रोत व दैनिक खर्च , सिंचाई में जल की दैनिक खपत को पूछकर सारणीबद्ध किया।इस प्रकार बच्चों ने विभिन्न विषयों को केवल मौखिक पाठ से हटकर पूछताछ, समूह चर्चा , विश्लेषण व आकलन करके जाना।इसे लिपिबद्ध रूप में एक बड़े समुदाय के साथ प्रस्तुत भी किया गया जो बच्चों के विषय के प्रति जानकारी को पुख्ता किया गया।बच्चे आत्मविश्वास के साथ अपनी जानकारी को समुदाय तक एक सही उद्देश्य के साथ साझा किए।
जब विभिन्न विषयों को बच्चे अपने रोजमर्रा के जीवन मे देख पाते हैं और सही निष्कर्ष के साथ आकलन कर पाते हैं तो पढ़ना एक सार्थक परिणाम की ओर अग्रसर होता है।बाल शोध पाठ्यपुस्तक में दिए विषयवस्तु को दैनिक जीवन में उपयोग कर पाने व समस्या समाधान, तर्क कर पाने व सही निष्कर्ष निकाल पाने में मदद करता है।आज समाज भी ऐसे युवाओं की मांग कर रही है जो ज्ञान को व्यवहार में परिणित कर सके अतः ऐसे समय मे बाल शोध मेले का आयोजन अपने आप मे एक अच्छी पहल है।इसके लिए अजीम प्रेमजी फाउंडेशन लगातार विभिन्न शालाओं में अपनी सहभागिता दे रही है।यह कार्यक्रम संकुल प्राचार्य जे एल नायक एवम् , व्याख्याता वीर सिंह के सफल मार्गदर्शन व अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के शिक्षक साथी शेखर सर,मनोज सर व शुभ्रांशु सर के सहयोग के साथ समुदाय व पालकों के सानिध्य में पूरा हुआ।साथ ही इस बाल शोध के मूल केन्द्र बच्चों के बिना यह कार्यक्रम संभव नही हो पाता जिनके उत्साह व ललक ने हमे भी पाठ्यवस्तु को करके सिखाने हेतु प्रेरित किया।