रायपुर | राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी कला को बढ़ावा देने के लिए गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में आदिवासी कारीगर मेला का आयोजन किया गया। मेला जिले के आदिवासी कारीगरों द्वारा निर्मित हस्तकला उत्पादों के विक्रय एवं कला को बढ़ावा देने संस्था ट्राईफैड द्वारा आयोजित किया गया। ट्राईफैड का उद्देश्य जनजातीय कारीगरों द्वारा उत्पादित उत्पादों का विपणन और लॉजिस्टिक विकास को बढ़ावा देना है।
मेेले में जिले के सभी विकासखण्डों से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत गठित स्व-सहायता समूहों के आदिवासी परिवारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। स्व-सहायता समूह द्वारा मेले में बांस से निर्मित सामग्री, टोकनी, सूपा, मछली पकड़ने का यंत्र, पूजा सामग्री, महिलाओं के गले एवं कान के मिट्टी की बालियॉं, टॉप्स, फ्लावर डेकोरेशन आईटम, धान की ज्वैलरी में गले का हार, राखियॉं एवं अंगूठी आदि, छिन के पत्तों के आधुनिक सजावटी सामान, चटाई, मिट्टी के कलात्मक बर्तन, लोहे के औजार, सूखे वनोपज से निर्मित सजावटी सामान और मिट्टी पर नक्काशी की गई मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाई गई।
आदिवासी कारीगर मेला में एनआरएलएम के जिला मिशन प्रबंधक ने बताया कि एनआरएलएम अंतर्गत गठित आदिवासी स्व-सहायता समूहों के द्वारा निर्मित जिले की विशिष्ट पहचान दिलाने वाले उत्पादों को सूचीबद्ध कर ट्राईफैड के माध्यम से विभिन्न शहरों में विक्रय के लिए प्रोत्साहित किया जायेगा। उन्होने आदिवासी कारीगरों को भी महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिक पार्क रीपा में जगह देकर उत्पादों का निर्माण करने तथा ट्राईफेड संस्था के लिंक करने की बात कही। कार्यक्रम में ट्राईफेड दिल्ली से कर्नल विनीत प्रभात, हस्तशिल्प विकास बोर्ड रायपुर केे श्री एल एस भट्टी, क्षेत्रीय प्रबंधक ट्राईफेड श्री पी एस चक्रवर्ती, सीईओ जनपद पंचायत गौरेला, जनपद सीईओ पेण्ड्रा, सहित सहायक परियोजना अधिकारी और जिला एवं जनपद स्तर के विकास विस्तार अधिकारी उपस्थित थे।