19 सितम्बर 2024/रायगढ़।
जैसा कि सर्व विदित है कि आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताएं हर विभाग का कार्य करती हैं चाहे वो निर्वाचन कार्य हो या स्वास्थ्य विभाग का कार्य हो या फिर महिला एवं बाल विकास विभाग।
कार्यकर्त्ताएं आंगनबाड़ी के साथ अन्य सभी कार्यों को बखूबी निभाती हैं मेहनत से लगन से कार्य करती हैं इसी तारतम्य में निगम द्वारा भी पिछड़ा वर्ग सर्वे का काम सौंप दिया गया है किन्तु यह तो हद ही हो गई, उन्हें चौतरफा कार्य सौंप दिया गया है आला अधिकारियों का इतना दबाव है की उनको अपनी नौकरी बचाने के डर से दहशत में काम कर रही हैं।
उनको आंगन बाड़ी का काम फिर वजन त्यौहार,पिछड़ा वर्ग सर्वे,साथ ही समय समय पर स्वास्थ्य विभाग का भी काम करना पड़ रहा है जबकि विगत तीन दिन पहले ही एसडीएम मीटिंग में इनके काम की अधिकता को देखते हुए वजन त्यौहार स्थगित करने की बात सामने आई थी लेकिन वजन त्यौहार का कार्यक्रम पूरा न होने पर नौकरी से बर्खास्त होने का डर या फिर निगम द्वारा दिया गया “पिछड़ा वर्ग सर्वे ” का कार्य पूरा न होने पर निगम के नोटिस का डर हो गया।
इस प्रकार देखा जाय तो सारे विभाग आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को गुलामों की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। विडम्बना ये है कि वे अपने ऊपर लादे जा रहे अतिरिक्त बोझ का खुल कर विरोध भी नहीं कर पा रही हैं क्योंकि उनको डर है कि उन्हें काम से हटा दिया जायेगा। अब सवाल उठता है कि इनका मानदेय बढ़ाया गया है तो क्या इनके सामने अन्य विभागों के कार्यों का अम्बार लगा दिया जाय? निगम को ही देख लीजिए अपने कर्मचारियों का काम इन्हें देकर चैन की वंशी बजा रहा है। आलम ये है कि अधिकारी गण अपना काम और खर्च बचाने के लिए इन्हें बहला-फुसला कर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। आँबा कार्यकर्त्ताएं अपनी परेशानियों को लेकर अपने आला अधिकारियों के समक्ष गुहार लगा चुकी हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब हमारी टीम ने कार्यकर्ताओं से इनकी परेशानियों को देखते हुए अपनी बात रखने की बात कही तो वे डर गयीं और ऑन कैमरा कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया। उन्हें भय है कि बोल देंगे तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी।